आपाणो राजस्थान
AAPANO RAJASTHAN
AAPANO RAJASTHAN
धरती धोरा री धरती मगरा री धरती चंबल री धरती मीरा री धरती वीरा री
AAPANO RAJASTHAN

आपाणो राजस्थान री वेबसाइट रो Logo

राजस्थान रा जिला रो नक्शो
(आभार राजस्थान पत्रिका)

Home Gallery FAQ Feedback Contact Us Help
आपाणो राजस्थान
राजस्थानी भाषा
मोडिया लिपि
पांडुलिपिया
राजस्थानी व्याकरण
साहित्यिक-सांस्कृतिक कोश
भाषा संबंधी कवितावां
इंटरनेट पर राजस्थानी
राजस्थानी ऐस.ऐम.ऐस
विद्वाना रा विचार
राजस्थानी भाषा कार्यक्रम
साहित्यकार
प्रवासी साहित्यकार
किताबा री सूची
संस्थाया अर संघ
बाबा रामदेवजी
गोगाजी चौहान
वीर तेजाजी
रावल मल्लिनाथजी
मेहाजी मांगलिया
हड़बूजी सांखला
पाबूजी
देवजी
सिद्धपुरुष खेमा बाबा
आलमजी
केसरिया कंवर
बभूतौ सिद्ध
संत पीपाजी
जोगिराज जालंधरनाथ
भगत धन्नौ
संत कूबाजी
जीण माता
रूपांदे
करनी माता
आई माता
माजीसा राणी भटियाणी
मीराबाई
महाराणा प्रताप
पन्नाधाय
ठा.केसरीसिंह बारहठ
बप्पा रावल
बादल व गोरा
बिहारीमल
चन्द्र सखी
दादू
दुर्गादास
हाडी राणी
जयमल अर पत्ता
जोरावर सिंह बारहठ
महाराणा कुम्भा
कमलावती
कविवर व्रिंद
महाराणा लाखा
रानी लीलावती
मालदेव राठौड
पद्मिनी रानी
पृथ्वीसिंह
पृथ्वीराज कवि
प्रताप सिंह बारहठ
राणा रतनसिंह
राणा सांगा
अमरसिंह राठौड
रामसिंह राठौड
अजयपाल जी
राव प्रतापसिंह जी
सूरजमल जी
राव बीकाजी
चित्रांगद मौर्यजी
डूंगरसिंह जी
गंगासिंह जी
जनमेजय जी
राव जोधाजी
सवाई जयसिंहजी
भाटी जैसलजी
खिज्र खां जी
किशनसिंह जी राठौड
महारावल प्रतापसिंहजी
रतनसिंहजी
सूरतसिंहजी
सरदार सिंह जी
सुजानसिंहजी
उम्मेदसिंह जी
उदयसिंह जी
मेजर शैतानसिंह
सागरमल गोपा
अर्जुनलाल सेठी
रामचन्द्र नन्दवाना
जलवायु
जिला
ग़ाँव
तालुका
ढ़ाणियाँ
जनसंख्या
वीर योद्धा
महापुरुष
किला
ऐतिहासिक युद्ध
स्वतन्त्रता संग्राम
वीरा री वाता
धार्मिक स्थान
धर्म - सम्प्रदाय
मेले
सांस्कृतिक संस्थान
रामायण
राजस्थानी व्रत-कथायां
राजस्थानी भजन
भाषा
व्याकरण
लोकग़ीत
लोकनाटय
चित्रकला
मूर्तिकला
स्थापत्यकला
कहावता
दूहा
कविता
वेशभूषा
जातियाँ
तीज- तेवार
शादी-ब्याह
काचँ करियावर
ब्याव रा कार्ड्स
व्यापार-व्यापारी
प्राकृतिक संसाधन
उद्यम- उद्यमी
राजस्थानी वातां
कहाणियां
राजस्थानी गजला
टुणकला
हंसीकावां
हास्य कवितावां
पहेलियां
गळगचिया
टाबरां री पोथी
टाबरा री कहाणियां
टाबरां रा गीत
टाबरां री कवितावां
वेबसाइट वास्ते मिली चिट्ठियां री सूची
राजस्थानी भाषा रे ब्लोग
राजस्थानी भाषा री दूजी वेबसाईटा

राजेन्द्रसिंह बारहठ
देव कोठारी
सत्यनारायण सोनी
पद्मचंदजी मेहता
भवनलालजी
रवि पुरोहितजी

मोतीलाल छापरवाल


दोष लाला का बाप का, सुत नै राज्खो ठोट।
बोले जद बेवै असी, जाणै घगरी चोट।528
दोष कर्यां पाछै करै, जो मन सूं अफसोस।
फेर करै नी ओर तो, छमा जोग है दोष529
दोय करगसा मिल करै, सूई साटै राड़।
तीन रोज तक तालती, धर्म नही भसवाड़।530
दोष सुझावै और तो, रीस करै थूं कहाँ।
मान हितैषी आपणो, आदर दे मन माँह।531
दोय लड़ै तो एक की, नहीं बाँधणी पाग।
समझै तो समझाय दै, नेतर छेटी भाग।532
दोष और का आपने, देय दिखाई काँह।
सच कह दूँ अभिमान बहुं, भर्यो आपरे माँह।533
दोस जस्या है और में, बस्या आपरे माँह।
औरां को चरचा करो, अपणा काढ़ो नाँङ।534
दृढ़ कतरो ईमान पै, होत परीक्षा कद्द।
अकस्मात चहुं ओर सूं, संकट आवे जद्द।535
द्रव्य कमायो पाप सूं, दान किया हवै काँय।
भी नाव जल सूं बचै, चमचम उणीच्यां नाँ।536
द्रव्य घणो चाकर घणा, ऊँचै पद आसीन।
लोग करै सम्मान पण, है त्यागी सूं हीन।537
द्रव्य घणी पण खरचणो, आछ्या सोच विचार।
घी थाली मे नाँकणो, नीं नाली में जार।538
द्रव्य नट्यो सो टूटगी, री न मिलण की आस।
पियो हुयो पाछी सेंधी, बणग्या खासम खास।539
द्रव्य बढ़े ओछाँ करने, तो अजमावे जोर।
लड़े भिड़े ज्यूं परस्पर, सावण चरियो ढोर।540
धन्न-धन्न गंडक थनै, जी घर खातो टूक।
उ धर सदा रुखालतां, रंच न कीदी चूक।541
धन आताँ हरखै घणओ, धन जातां जो रोय।
वीं सम ईं संसार में, मूढ़ न दूजो कोय।542
धन ग्यो तो काँई हुयो, आतो-जातो रेय।
चरित आपणो श्रेष्ठ तो, समगील चीजां हेय।543
धन आवै धरती बिकै, ऋण होवै भरपूर।
खबर पड़ै सबकी, कुण नुहड़ो कुण दूर।544
धन पाँव कांटी चुभो, पूछण गया हजार।
पड़ियो घाव गरीब कै, कोई न पूछयो जार।545
धन अपरा नौकर घणाँ, चाटुकार चहुं ओर।
इण सूँ जो फूल्यो फिरै, मनख नहीं ऊ ठोर।546
धन आवै ओछा नकै, करै गाँव सूँ राड।
पर तिय नाकै नवल की, पकड़ मरोडै नाड़।547
धन आवै जद बाप को, अकल हीण के हाथ।
लाल चालता मनख सूं, खसै बिना ही बात।548
धनी बाप मर जाय तो, बात बता दूँ सांच।
मोज्यां मूरख लाल ने, गुण्डा खावै टांच।549
धन पायो जस लै परी, पर रै आडै आर।
नीं बांधेला पाछला, बैकुण्ठी री लार।550
धनिया सूं ध लेवण्यां, नहीं चालसी एंठ।
थाँ सूं लेसी काम वे, माथा ऊपर बैठ।551
धन्नी यूं देसी नहीं, कन्नो कौड़ी एक।
गन्नी आतो दीखसी, अन्नी देसी फेंक।552
धरणी जिण घर केणगर, उत्तम साधु सुभाव।
सुख बरसै वीं गेह पर, दुःख को लगै न डाव।553
धन जावै जद पाप को, नहीं एकलो जात।
पहली का भी द्रव्य ने, लेकर जावै साथ।554
दन हो जद सिर तोकतो, भार चालण्यो साथ।
धन नटग्यो आवै नहीं, कनै जोड़ता हाथ।555
धन अपार सेना अजित, सहसाँ कोसां राज।
दिन बदल्यो भाग्या हुया, अन्न-जल रा मुँहतराज।556
धन की देखी जगत में, म्हें लोला अद्भूत।
काकी सुत सूं नेहड़ो, सालाजी को पूत।557
धन वैभव विद्या बढ़ै, बढ़ै आयु बल ज्ञान।
गुरुजन का कर जोरि नम, सदा करउ सनमान।558
धन-धरती बहु सम्पदा, बुई आपरे पास।
तो पण लोभी जीवड़ा, बुझा न मन की प्यास।559
धर्म ग्रन्थ संसार रा, छूतां मान्यो पाप।
वीं मदिरा ने पेट में, मती उड़ेलो आप।560
धन की, पद की, मान की, जीकै रत्ती न भूख।
वीं की सुणसी चूगता, मती नचावे कूक।561
धन रहवै इक ठोर नी, अकड़ चलो मत कोय।
धन माँहि धरियो कंई, धन वैश्या के होय।562
धन आवै नीं चोरियाँ, कदी न अकड़याँ आय।
रेत घड़ी नै देखले, रज नीचै रै जाय।563
धन धरती चावे नहीं, नीं चावे पद नाम।
सेवक पाछे नीं फिरै, नेता सूँ कँई काम।564
धन नीं तो कांई हुयो, तन तो थांरे साथ।
पर सेवा तन सूँ कर्यां, धनरी सेवा मात।565
धन अथाग सोबत पुरी, अपढ़ कुचाली पूत।
केण करै नी बाप की, काँनी खावे जूत।566
धनिक बात सुणसी नहीं, भली नगारा पीट।
काम रुप्या को लेर  ये, टको देवसी नींट।567
धन कीरत रा लोओभ में, सेवक जद फँस जाय।
दिन नेहड़ा है पतन रा, या चातुर की राय।568
धन नीं तो कांई हुयो, हाथ दिया हरि दोय।
जाकर आँसू पूँछले, दीन रियो जो रोय।569
धन अपार वींरै कने, थाँ पहँ अतरो नांह।
है सो ही धन मोखलो, बीं सूँ तोले काँह।570
धन दहेज में मांगण्यो, सबसूँ मोटो नीच।
कालिख पोतो मुक्ख पै, नगर चोहटा बीच।571
धन देवे भगवान पण, दो शरताँ रे साथ।
बांट-बांट कर काव अर, हाथ हिला दिन-रात।572
धान खणासा माँय नूं, दान दियो माणीक।
माणी बालो मण दिय, दाता कुणसो ठीक।573
धान नटै इज्ज घटै, व्होरो आण अड़े।
आछ्या खोटा मित्र की, जद ही खबर पड़े।574
धान टकाटक लावण्यो, जी पहँ द्रव्य अटूट।
ऊ कहवाँ ने मित्र तो, बात सरासर झूठ।575
नम्र रेवणओ ठीक पण, हद सूँज्यादा नांह।
नीतर देसी हीण गण, जूदां माथा मांह।576
नकदी सूँ हर चीज को, कमती लागै मूल।
बाकी राख्यां डाकियो, दूणो लें महसूल।577
नहीं देखणी उमर अर, नहीं देखणी जात।
हित की कह तो मानणी, कोई की भी बात।578
नभ सूं नाक्यो राम पण, तकदीरा री बात।
अटक्यो आण खजूर पै, किंचित लग्यो न हाथ।579
नमण होय देखो जठे, धन यूँ जावे दीर।
ज्यूँ रणकै बरसात को, नीर नमण की ओर।580
नकली नेत कँई करै, लोगा नै भड़कार।
फील्ड छोड़  मार्ग घरै, सो जावै अडकार।581
नकली नेता धनकि सूँ, लाभ लेय दिन-रात।
पड़े मानणि धनिक री, अन्त अणूथी बात।582
नहीं राखणी राड़ अर, नहीं राखणो मेल।
आ बेठे घर धूर्त तो, नहीं रेवणो डेल।583
नबल सबल घर आपके, जो कोई भी आय।
माथे सल न चढावणो, मान देऊ हरखाय।584
नंगारा का नांद सूँ, नंगारा का ऊँट।
हरगिज भी चौकैं नही, भली जोर सूँ कूट।585
नहीं छोड़तो-जोड़तो, घड़ी-घड़ी को ब्याज।
धरियो रहग्यो सब अठे, लेय चल्यो यमराज।586
नम्र घणा जी सूँ कँई, अहं तज्यो नीं आप।
असल कंई हो आप सो, अकलमंद ने भांप।587
नाम कढ़ैहरि को जस्यो, मन सूँ दुःख रै मांय।
कढ़ै नाम सुख में वस्यो, तो कह्णो ही कांय।588
नाम एक नीं राम का, मोती नाम अनेक।
मजौ आवसी एक सौ, लैर कस्यो भी देख।589
नाम आपको, बाप को, सही न जाणै मांड।
अस्या भण्याँ रै घर बसै, कमला बेंड़ी रांड़।590
नारी  ! यो इंग्लैंड नी, नी अमरीका-फांस।
समझ राख सौहे नहीं, अठै कैबरे डासं।591
नीं फुरसत नीं समझ अर, नीं निर्भयता रंच।
अरे बोल जद बहावला, थूँ कां बणियो पंच।592
नांक-नांक कर वायदो, सिर का उड़ग्या बाल।
वा पूछे रोड़ी कठी, राह बताओ चाल।593
नाप तोल कर बोलणो, नीं करणी बकलाद।
साग सुधारै लूण कम, अधिक बिगाड़ै स्वाद।594
नाम अभयसिंह फेर यूँ, मती बजावे गाल।
यूँ भागै अरि हाक सुण, ज्यूँ भागै श्रृंगाल।595
नारी थांमें गुण घणा, अवगुण मोटो एक।
नीं छोड़े थूं व्यर्थ की, पकड़्यां पाछै टेक।596
नारायण को नाम नत, जाप करै जन कोय।
पान करू वीं भगत रो, जल पगल्या ने धोय।597
निन्दक सूँ डरणो नहीं, निन्दक रहताँ हित्त।
दोष सुझावै आपणां, नहीं सुझावै मित्त।598
निर्बल सूं जूझै जबै, बार-बार बलवन्त।
अवसर आया ठीकरी, घट को कर दै अन्त।599
निर्धन नै बीं जगत में, निर्धनता अखराय।
पीवै दूध पड़ोस का, छोरा छाछ न पाय।600
निठुर स्वारथी आलसो, लुढ़कणियो वाचाल।
कुतधन ढोंगी मूँढ़ ने, पंच चुणंता टाल।601
निन्दा री आदत जदे, जी ो ंर मोतीलाल।
ऊठ वठा सूं सांतरा, देर पावड़ा चाल।602
निन्द मुख सूं नीं करो, पण लेवो रस आप।
निन्दा सम ही जाणज्यो, रस लेबो भी पाप।603
निरधनता भय रोगवश, जो पीड़ित घर आय।
नीं करणी अवमानना, छाती लेऊ लगाय।604
निश्चय आछ्या काम कोर, खुशबू चाऊं ओर।
फैलेगी बोले मती, सुझा चूपको होर।605
नीं धाप्यो सबकी  लई, धनी भौम का सूंत।
सोवण कूँ बस चायजे, तीन हाथ दो बूंत।606
नीं पातरता पाँव की, मिल जावे जद सेर।
खुद नै लागै समझबा, मोतीलाल कुबेर।607
नीं माने होता थकां, बात आपकी सच्च।
नीं करणी वींसूँ कदी, रती भोमरा भच्च।608
नीत भली जद आपकी, काम भला जद बोत।
लोग भले ही दोष दो, दोष दियां कंई होत।609
नीं कोई सूँ द्वेष है, नीं कोई सूँ राग।
संत सदा सांची कथै, सुणया गेवे लाग।610
नीं समल्या तो देखज्यो, या दहेज की आग।
बाल देवसी कुटुम्ब रा, हरिया-भरिया बाग।611
नीं चावै धनसम्पदा, नीं चावे ऊ नाम।
सेवक रै धुन एक बस करतो रहणो काम।612
नीच कदी चूकै नहीं, भली राख ओसाण।
छेटी रहता ही भरै, गंडक-बटका आण।613
नीं दबणो नीं दाबणो, कोई दुर्बल जाण।
दाबै तो कर निबल की, सही मदद सौ दाण।614
नीचो झुक धनवासन सूं, भिक्षु करी सलाम।
वे कर ऊंचो नी करयो, जो में कुण निकाम।615
नीं देख्यो गुण कर्म  ्‌र, देख्यो नहीं सुभाव।
ब्याव कर्यो कन थें दियो, दुःख ने हेलो आव।616
नीच घमा पण है कुणी, सब नीचा में नीच।
लाय लगादे स्वार्थवश, सकल गाँव रे बीच।617
नुसखो मारे एक यो, आयो घणो पसंद।
कोई झगड़े आण तो, मुख ने रखणो बन्द।618
नेताजी के छोकरा, सात, आठ, नौ, दस।
ओरां ने कहता फिरै, कटला लेओ नस्स।619
नेताजी कह दो जरा, किण सूँ सीख्या डाव।
भोपो केवै जीं तरा, अबकै थावर आव।620
नेताजी पलोट परी, चाल पुराणी आप।
भापण अब भूंडा लगै, काम करो चुपचाप।621
नेता बिन उसूल का, पर को करता न्याय।
पहली सोचै आपणी, बोट परा नीं जाय।622
नेह घणओ जींसूं कंई, नित घर घूदे कांह।
बिना काम घूंदया पड़े, अन्तर आदर माँह।623
न्याय मंच पै बैठ अर, पंच करै परंपच।
साँच कहुं वा पंच रो, मान करें कुण रंच।624
पग पकड़ै, पगड़ी धरै, आड्या आवै नीच।
काम सरया पाछै धरै, खोल पगां सूं खींच।625
पड़ जावै परिवार में, जदै परस्पर फूट।
तो जाणो परिवार पै, गयो रामजी रूठ।626
पण्डाजी डावा कस्या, कह दूँ यांरी बात।
भोग चकाचक म्हें धरै, दे भगतां नै पात।627
पढ़बो-लिखणो कठिन  नी, निश्चय करले कोय।
बालक-बूढ़ा प्रौढ़ सब, पढ़-लिख पण्डित होय।628
पइसो चाकर आपको, खर्च करो तो आप।
खर्च न जाणओ आपतो, पियो आको बाप।629
पर की बढ़ती देख जो, जलतो रहवै नीच।
मुख रहवै वींरो  ्‌स्यो, जने पिटियो जन बीच।630
पद आवै संसार में, हिम्मत हो तो हाथ।
रोयां राज मिलै नहीं, सांची या केणात।631
पड़ ऊठै फेरूँ चलै, निहचै पूगै ठांण।
ऊँ कँई पूगै आलसी, सौवै  खूंटी ताण।632
परहित में मान मती, कस्यो मान-अपमान।
अकड़ छोड़ सहयोग दो, बिना बुलायां जान।633
पहन-ओढ़ तन लै रगड़, सोजा तलै बिछार।
जीच बांध जल छाण लै, लाख अँगोछो लार।634
पर बल देवै काम जद, बल ह्वै अपणां माय।
एनक कूँ कर काम दें, चख जद चलको नांय।635
पग लाग्याँ खावै सरप, खर दै छेड़्यां लात।
नीच सतावै आंण पण, बिन छेड़्यां बिन बात।636
पति-पत्नि की रार है, नहीं रार में रार।
प्रात लरै अर रात नै, खुलिया रखैं किंवार।637
पड़ग्यो तो कांई हुयो, धूल झाड़ उठ चाल।
हिम्मत राख्यां दूर नीं, ठाणों मोतीलाल।638
पर सूँ लेणो काम तो, कंहणो घर पै जार।
भूल-चूक कहणो नहीं, वांने घरै बुलार।639
पढ़ो-लिखो खेलो बणो, गेह कार्य में दक्ष।
याद रखो भूलो मती, पर सेवा रो लक्ष।640
पडयो स्यात कु बोल सूँ, सगा-पपगा में बैर।
मत हिचको मेटो परो, पकड़ परस्पर पैर।641
परो भूल मत याद रख, परहित करिया बाद।
पर को बणअयो बिगाड़ तो, सदा राखजे याद।642
पर खाबा वीं पहँ चल्यो, मूरख मोती लेर।
जो बेचे नत हाट पै, गाजर मूली बेर।643
पड़ा जावै जद पेट में, दूषित अन्न कुठौर।
माता-पिता रो भगत पण, बोलै वनच कठोर।644
पहली का वादा कर्या, पद पायां रै बाद।
बिरला ही देख्या मनख, वादा राखे याद।645
पर का अवगुण आदि का, थूँ का रखे हिसाब।
थूँ तो थारा काढ ़ बस,  दोषां ने मत दाब।646
पद पाया पाछे लखी, ओछा री या बात।
झुख मुजर  ोकर देख लो, ऊंचो करै न हाथ।647
पतन नेहड़ो जाणजे, होती  ेली भोर।
जप गाधै जींकै जबे, चाटुकार चहुं ओर।648
पथभूल्या कीं भूलकर, करणी नीं मजाक।
गेलो सही बताय कर, अवगुण देण ढांक।649
परिजन आछ्या होय तो, सुख सूँ आवे नींद।
खूब मन आनन्द सूँ, रोज दिवाली ईद।650
पति मरियां पाछे  अठे, नार्जायं बली अनेक।
पण नार्यां का निधन पे, पुरूष बल्यो नीं एक।651
पंच चुणंता गांव में, म्हैं देखी नतरोल।
पण्डित हार्या जा जम्या, जाजम ऊपर टोल।652
पढ़बा लिखबा मांहि जो, थे राख्या असलाग।
तो सुख-सुविधा जाणजे, लिखो न थारे भाग।653
पापी थू सुख भांग ले, पाप पक्यो नी हाल।
पाप जदै एक जवासी, पछै देख जै हाल।654
पांव दाब माथो झुका, हाथ जोड़ दिन-रात।
जीन न सीधो होवसी, बिना लगायाँ लात।655
पास बस्यां पे तो पड़े, कुण जण करतो ठीक।
परबत दीखै दूर सूँ, बोत बड़ा रमणीक।656
हाण होय जतरोक की, कारज करबो ठीक।
पग काढ़ो मत बारणे, चादर तो छोटीक।657
पांव छुवे खल दौड़कर, काम हाथ रौ छोड़।
सावधन रहणो कदी, शायद दै नी धोड़।658
पियो बहुत पण मत करै, खरच फालतू मूढ़।
थाली बारै ढोल मत, घी चोखा में कूढ़।659
पियो  पास जद एक नीं, नहीं आपमें डाव।
मुश्किल मिलबो जाणज्यो, अणी राज में चाव।660
पीहर मे नित ही लड़े, भाई अर मा-बाप।
बेटी जद सुसराल में, कां रहवे चुपचाप।661
पुरखां की कहणात या, सोला आना सच।
खोटी है तरवार सूँ, घर में दांता-कच्च।662
पुरखां की कहणात या, पतवाणी सौ बार।
काम पड़ै जद स्याल सूँ हंगै मथारै जार।663
पुन्य बिना पावै नहीं, आछ्यो कुल निर्दोष।
अर पावे नीं पुन्य बिन, आछ्या पास पड़ौस।664
पुरूसारथ इक हाथ तो, हाथ दूसरे जीत।
मोती आलस छोड़कर, पुरुसारथ सूँ प्रती।665
पूछताछ आदर नहीं, जदे ब्याव रै मांह।
भुवा बहण गिणती फिरे, कुवा पांत में कांह।666
पूत लड़ै सब बाप सूं, अर दादा सूँ बाप।ष
बालक जद बणसी कस्या, आछ्यां सोचा आप।667
पूत रियो नी बाप की, छाती बाल्या टाल।
शाल नांक अब डाल घी, रयो चन्दन सूँ बाल।668
पेट्यो दै इक विप्र नै, कर ग्यारस को वास।
करड़ी कलम चलावण्यो, करे स्वर्ग की आस।669
पेट परायो है नहीं, माल परायो साब।
दाब-दाब मत ना भरै, चाब-चाब कम खाव।670
पेट भली भर लेवणो, बोझ परायो तोक।
करणी असी न चाकरी, पड़ै देवणी धोक।671
पोणी पड़सी रोटियां, नटजासी घी खांड।
यूँ सोचे लख पावणो, जाण कर्कशा रांड।672
पोमाया खरचो कर्यो, मोती अबुध अतोल।
घर बिकता वो ही अबै, करबा लग्या मखोल।673
प्रभु चावै सो होत है, नर की चलै न एक।
राम चल्या वन देखलो, रियो राज्य अभिषेक।674
फल छोटो रसहीण पण, सोरो दे न खजूर।
तुच्छ बेल तरबूज दे, सोरो रस सूँ पूर।675
फल पायो नीं पाप रो, ईं रो कारम एक।
हाल घड़ो बरियो नहीं, भरिया लीजे देख।676
फाड़ी है छोटीक पण, बड़पण ईं को देख।
बासाँ कस्सी बीच बड़, दो नै करदे एक।677
फूल उछलता देखकर, थूँ मत मन में फूल।
फैंक सके फेंकण्यां, कदीक थांपै धूल।678
फूल रूपाला डाल पर, कतरा खुशबूदार।
कांटा आढ़ी नाल मत, तोड़ गूँथ ले हार।679
बहु नेता बहु स्वारथी, जीं पुर जार जुडन्त।
बहु नाण्यां भेली हुयां, जापो बिगड़े अन्त।680
बहु चिन्ता बहु हरख सूँ, निद्रा भली न आत।
बहुताँ का मुख सूँ सुणी, या अजमाई बात।681
बणज बणातां ब्याव नै, रती न आई लाज।
पहली बात दहेज की, करें सूगला आज।682
बहु नेहड़ो साढ धनी, निर्धनता ऊ दूर।
म्हे देख्या यूं मानता, जग में बहु वेशऊर।683
बँधै बैल धोल्या जदै, नित काल्या रे संग।
लक्खण तो आसी अवस, भली न बदलो रंग।684
बचपण बीत्यो आपरो, लाड कुसंगत मांह।
भणियो पण थां मांयने, अतरी अक्कड़ कांह।685
बन्धु बन्धु प्रातः लड़्या, धन व्यालू री बार।
एक थाल जीमण लग्या, बिना बुलायां आर।686
बन्धु लड़ै भूं बांटता, आंगल तजै न  एक।
मन माहं ी धरती जदै, हँसे मूर्खता देख।687
बना काम रै स्वारथी, मुजरो झेलै नीठ।
गरड पड़ै जद सोर दैं, टाबर तक री बीठ।688
बहु वन देख्या खेजड़ा, चन्दण लख्यो कठेक।
जेबरड़ा देख्या मनख, यूं नर लख्या अनेक।689
बगल भरयाँ खलिहान में, खुवै कामड़ी बैल।
धान भखै घोड़ा धरै, देख भाग रो खेल।690
बड़ी चीज का पाण सूँ, लघु न फैंके कांह।
पग काँटो काढै सुई, फाल्यो काढ़ै नांह।691
बतलायां बोले नहीं, सुणै न देताँ धोक।
गरज पड़ै जद आण खल, लेत पगरख्यां तोक।692
बहकायां बोलै मती, पहली मन में तोल।
और बजायाँ सूँ बजै, शंख नगारा ढोल।693
बदलो लेवै अड़ पड़ै, तुछ बाताँ सूँ रूठ।
म्हूं पूछुँ रै वै सगा, मींडा है कन ऊँट।694
बंस आँखली गुण चरित, स्वास्थ्य जोड़ व्यवहार।
सगपण करताँ देखणों, गहराई में जार।695
बतलाणों सब नै सदा नाम रूपालों लेर।
कुम्भकार सूं बोलणो, ं रजापत जो केर।696
बहु खरची बहु आलसी, व्यभिचारी र लबार।
आबारी हर छोड दे, याँनै देर उधार।697
बणज करै तो राखजे, इण बाताँ रो तोल।
सही मोल सही तोल अर, शुद्ध चीज मृदु बोल।698
बच बच में बोलै घणो, नहीं बात री जाण।
रोक्या रूकै न एक या, मूरण की पहचाण।699
बहकाया मत लागजे, अकल तुला पै तोल।
चरितवान नै देवजे, मत है घणो अमोल।700

 

आगे रा पन्ना - 1 2 3 4 5

 आपाणो राजस्थान
Download Hindi Fonts

राजस्थानी भाषा नें
मान्यता वास्ते प्रयास
राजस्तानी संघर्ष समिति
प्रेस नोट्स
स्वामी विवेकानद
अन्य
ओळख द्वैमासिक
कल्चर साप्ताहिक
कानिया मानिया कुर्र त्रैमासिक
गणपत
गवरजा मासिक
गुणज्ञान
चौकसी पाक्षिक
जलते दीप दैनिक
जागती जोत मासिक
जय श्री बालाजी
झुणझुणीयो
टाबर टोली पाक्षिक
तनिमा मासिक
तुमुल तुफानी साप्ताहिक
देस-दिसावर मासिक
नैणसी मासिक
नेगचार
प्रभात केसरी साप्ताहिक
बाल वाटिका मासिक
बिणजारो
माणक मासिक
मायड रो हेलो
युगपक्ष दैनिक
राजस्थली त्रैमासिक
राजस्थान उद्घोष
राजस्थानी गंगा त्रैमासिक
राजस्थानी चिराग
राष्ट्रोत्थान सार पाक्षिक लाडली भैंण
लूर
लोकमत दैनिक
वरदा
समाचार सफर पाक्षिक
सूरतगढ़ टाईम्स पाक्षिक
शेखावटी बोध
महिमा भीखण री

पर्यावरण
पानी रो उपयोग
भवन निर्माण कला
नया विज्ञान नई टेक्नोलोजी
विकास की सम्भावनाएं
इतिहास
राजनीति
विज्ञान
शिक्षा में योगदान
भारत रा युद्धा में राजस्थान रो योगदान
खानपान
प्रसिद्ध मिठाईयां
मौसम रे अनुसार खान -पान
विश्वविद्यालय
इंजिन्यिरिग कालेज
शिक्षा बोर्ड
प्राथमिक शिक्षा
राजस्थानी फिल्मा
हिन्दी फिल्मा में राजस्थान रो योगदान

सेटेलाइट ऊ लीदो थको
राजस्थान रो फोटो

राजस्थान रा सूरमा
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
आप भला तो जगभलो नीतरं भलो न कोय ।

आस रे थांबे आसमान टिक्योडो ।

आपाणो राजस्थान
अ आ इ ई उ ऊ ए ऐ ओ औ अं अ: क ख ग घ च छ  ज झ ञ ट ठ ड ढ़ ण त थ द ध न प फ ब भ म य र ल वश ष स ह ळ क्ष त्र ज्ञ

साइट रा सर्जन कर्ता:

ज्ञान गंगा ऑनलाइन
डा. सुरेन्द्र सिंह पोखरणा, बी-71 पृथ्वी टावर, जोधपुर चार रास्ता, अहमदाबाद-380015,
फ़ोन न.-26925850, मोबाईल- 09825646519, ई-मेल--sspokharna15@yahoo.com

हाई-टेक आऊट सोर्सिंग सर्विसेज
अखिल भारतीय राजस्थानी भाषा मान्यता संघर्षर् समिति
राजस्थानी मोटियार परिषद
राजस्थानी महिला परिषद
राजस्थानी चिन्तन परिषद
राजस्थानी खेल परिषद

हाई-टेक हाऊस, विमूर्ति कोम्पलेक्स के पीछे, हरेश दुधीया के पास, गुरुकुल, अहमदाबाद - 380052
फोन न.:- 079-40003000 ई-मेल:- info@hitechos.com